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जिज्ञासा पर उद्धरण

जिज्ञासा-संबंधी वृहत

और विविध प्रसंगों के पाठ रचती कविताओं से एक चयन।

हम अपने बारे में इतना कम और इतना अधिक जानते हैं कि प्रेम ही बचता है प्रार्थना की राख में।

नवीन सागर

फूलों को तोड़कर गुलदान में सजाने वाले शायद ही कभी किसी बीज का अंकुरण देख पाते होंगे।

सिद्धेश्वर सिंह
  • संबंधित विषय : फूल

जानने की कोशिश मत करो। कोशिश करोगे तो पागल हो जाओगे।

राजकमल चौधरी

कहानी क्या कविता का शेषार्थ है?

धूमिल

अपने अनुभव से हासिल किया ज्ञान है कि डाॅक्टर और माशूक़ कभी नहीं बदलने चाहिए। आप फ़ालतू सवालों से बच जाते हैं।

स्वदेश दीपक

घटना एक ही होती है, पर उसकी व्याख्याएँ प्रत्येक की अपनी होती हैं।

श्री नरेश मेहता

मनुष्य का भूत और वर्तमान ही उसे समझने के लिए पर्याप्त नहीं है। भावी आदर्श पर बिंबित उसका चेहरा इन सबसे अधिक यथार्थ और इसीलिए अधिक सुंदर तथा उत्साहजनक है।

सुमित्रानंदन पंत

लक्षक मन ही लक्षणीयता को परखकर उभारता है।

त्रिलोचन

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