जिज्ञासा पर उद्धरण

जिज्ञासा-संबंधी वृहत

और विविध प्रसंगों के पाठ रचती कविताओं से एक चयन।

फूलों को तोड़कर गुलदान में सजाने वाले शायद ही कभी किसी बीज का अंकुरण देख पाते होंगे।

सिद्धेश्वर सिंह
  • संबंधित विषय : फूल

हम अपने बारे में इतना कम और इतना अधिक जानते हैं कि प्रेम ही बचता है प्रार्थना की राख में।

नवीन सागर

जानने की कोशिश मत करो। कोशिश करोगे तो पागल हो जाओगे।

राजकमल चौधरी

मनुष्य का भूत और वर्तमान ही उसे समझने के लिए पर्याप्त नहीं है। भावी आदर्श पर बिंबित उसका चेहरा इन सबसे अधिक यथार्थ और इसीलिए अधिक सुंदर तथा उत्साहजनक है।

सुमित्रानंदन पंत

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