
हम अपने बारे में इतना कम और इतना अधिक जानते हैं कि प्रेम ही बचता है प्रार्थना की राख में।

यदि तुम क्रांति का सिद्धांत और विधियों के जिज्ञासु हो तो तुम्हें क्रांति में भाग लेना चाहिए। समस्त प्रामाणिक ज्ञान प्रत्यक्ष अनुभव से उद्भूत होता है।

जानने की कोशिश मत करो। कोशिश करोगे तो पागल हो जाओगे।

फूलों को तोड़कर गुलदान में सजाने वाले शायद ही कभी किसी बीज का अंकुरण देख पाते होंगे।


आपकी जिज्ञासा की उत्कटता ही, अभिमुखता की उत्कटता हो, अवसर बन जाती है। अवसर की कोई स्वतंत्र सत्ता नहीं है कि कोई उसे लाकर आपको देगा।

अपने अनुभव से हासिल किया ज्ञान है कि डाॅक्टर और माशूक़ कभी नहीं बदलने चाहिए। आप फ़ालतू सवालों से बच जाते हैं।

जिज्ञासा करने वाला हमेशा ख़ुश रहता है।


घटना एक ही होती है, पर उसकी व्याख्याएँ प्रत्येक की अपनी होती हैं।

मनुष्य का भूत और वर्तमान ही उसे समझने के लिए पर्याप्त नहीं है। भावी आदर्श पर बिंबित उसका चेहरा इन सबसे अधिक यथार्थ और इसीलिए अधिक सुंदर तथा उत्साहजनक है।