पत्रकारिता में स्नातक की डिग्री प्राप्त हुए मुझे लगभग दो साल पूरे हो चुके हैं। मेरे साथ के सभी सहपाठियों ने कहीं न कहीं दाख़िला ले लिया है और वे अक्सर पूछते हैं कि मैंने कहीं पर दाख़िला क्यों नहीं लिय
रुकैया
पढ़ने-लिखने के वे ज़माने
जहाँ से मुझे अपना बचपन याद आता है, लगभग चार-पाँच साल से, तब से एक बात बहुत शिद्दत से याद आती है कि मुझे पढ़ने का बहुत शौक़ हुआ करता था। कुछ समय तक जब गाँव की पाठशाला में पढ़ता था, पिताजी जब भी गाँव आते त
विपिन कुमार शर्मा
क्या होम्स ब्योमकेश का पुरखा था...!
सारे दिन हवाएँ साँय-साँय करती रही। बारिश खिड़कियों से टकराती रही थी, जिससे इस विशाल लंदन में भी जो इंसानों ने बनाया है, हम अपनी दिनचर्या भूलकर प्रकृति की लीला के विषय में सोचने पर मजबूर हो गए थे। जो मा
उपासना
एक लेखक को किन चीज़ों से बचना चाहिए?
एक लेखक को इन चीज़ों से बचना चाहिए :
• सूक्तियों से—सूक्तियाँ बहुत चमकीली होती हैं, लेकिन वे अक्सर अर्द्धसत्यों से बनती हैं; उनके पीछे इच्छा ज़्यादा होती है, अनुभव कम।
• सामान्यीकरणों से—सामान्य
प्रियदर्शन
सिनॉप्सिस कैसे बनाएँ
शोध-कार्य-क्षेत्र में सक्रिय जनों को प्राय: ‘सिनॉप्सिस कैसे बनाएँ’ इस समस्या से साक्षात्कार करना पड़ता है। यहाँ प्रस्तुत हैं इसके समाधान के रूप में कुछ बिंदु, कुछ सुझाव :
• आप 2400-2500 शब्दों का एक
रमाशंकर सिंह
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