
कुपित व्यक्ति की पहले विद्या धुँधली हो जाती है और बाद में भृकुटि।

जो कली एक बार पुष्प रूप में स्फुरित हो जाती है वह सदा को मुरझा जाती है।
कुपित व्यक्ति की पहले विद्या धुँधली हो जाती है और बाद में भृकुटि।
जो कली एक बार पुष्प रूप में स्फुरित हो जाती है वह सदा को मुरझा जाती है।