पुस्तक पर उद्धरण
पुस्तकें हमारे लिए नए
अनुभव और ज्ञान-संसार के द्वार खोलती हैं। प्रस्तुत चयन में ‘रोया हूँ मैं भी किताब पढ़कर’ के भाव से लेकर ‘सच्ची किताबें हम सबको अपनी शरण में लें’ की प्रार्थना तक के भाव जगाती विशिष्ट पुस्तक विषयक कविताओं का संकलन किया गया है।
अच्छे दोस्त, अच्छी क़िताबें और एक उनींदी चेतना: एक आदर्श जीवन यही है।
जिस किताब में अच्छी कविता होती है, उसके पास दीमकें नहीं फटकतीं।
कितना अच्छा होता कि जिस संख्या में कवियों के संग्रह छपे बताए जाते हैं, लगभग उतनी ही संख्या में उन्होंने कविताएँ भी लिखी होतीं।
बच्चे की ज़िंदगी एक लंबी ज़िंदगी है। उसमें एक किताब आकर चली नहीं जानी चाहिए।
पाक कला की ढेर सारी किताबें पढ़ने के बाद पता चलता है कि खाना पकाने के लिए सबसे ज़रूरी चीज़ है—धैर्य।
मैंने हमेशा कल्पना की है कि जन्नत एक क़िताब घर होगा।
सबसे अच्छी क़िताबें वे हैं जो आप को वह बताती हैं जो आप पहले से जानते हैं।