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सुजान सौन्टैग

1933 - 2004 | न्यू यार्क

सुजान सौन्टैग की संपूर्ण रचनाएँ

उद्धरण 21

करुणा, करुणा, करुणा। मैं नए साल के लिए प्रार्थना करना चाहती हूँ, संकल्प नहीं। मैं साहस के लिए प्रार्थना कर रही हूँ।

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बूढ़ा हो जाने का डर इस बात से पैदा हुआ है कि मनुष्य अब वैसा जीवन नहीं जी रहा है, जैसा कि वह चाहता है।

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मेरे विचार से लेखक वह है, जिसकी दिलचस्पी हर चीज़ में है।

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मलार्मे ने कहा कि दुनिया में सब कुछ इसलिए मौजूद है कि एक किताब में समाप्त हो जाए। आज सब कुछ इसलिए मौजूद है कि वह एक तस्वीर में समाप्त हो जाए।

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बुद्धिमत्ता वास्तव में एक प्रकार की अभिरुचि है : विचारों की अभिरुचि।

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