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सत्संग पर उद्धरण

भक्तिधारा में संत-महात्माओं

की संगति और उनके साथ धार्मिक चर्चा को पर्याप्त महत्ता दी गई है। प्रस्तुत चयन में सत्संग विषयक भक्ति काव्य-रूपों को शामिल किया गया है।

संतों की वाणी सुनो, शास्त्र पढ़ो, विद्वान हो लो, लेकिन अगर ईश्वर को हृदय में स्थान नहीं दिया तो कुछ नहीं किया।

महात्मा गांधी

'सत्संग' नामक देश में 'भक्ति' नाम का नगर है। उसमें जाकर 'प्रेम' की गली पूछना। विरह-ताप-रूपी पहरेदार से मिलकर महल में घुसना और सेवारूपी सीढ़ी पर चढ़कर समीप पहुँच जाना। फिर दीनता के पात्र में अपने मन की मणि को रखकर उसे भगवान् को भेंट चढ़ा देना। अहं तथा घमंड के भावों को न्योछावर कर तुम श्रीकृष्ण का वरण करना।

दयाराम