
जो हम हो नहीं सकते, उसके लिए प्रयत्न करना बेकार है।

हमारा व्यक्तित्व जैसा होगा, वैसा ही दुनिया का नक्शा हम बनाएँगे। इसे 'चारित्र्य' कहते हैं।
जो हम हो नहीं सकते, उसके लिए प्रयत्न करना बेकार है।
हमारा व्यक्तित्व जैसा होगा, वैसा ही दुनिया का नक्शा हम बनाएँगे। इसे 'चारित्र्य' कहते हैं।