शहर पर उद्धरण
शहर आधुनिक जीवन की आस्थाओं
के केंद्र बन गए हैं, जिनसे आबादी की उम्मीदें बढ़ती ही जा रही हैं। इस चयन में शामिल कविताओं में शहर की आवाजाही कभी स्वप्न और स्मृति तो कभी मोहभंग के रूप में दर्ज हुई है।
मुझसे सीखें, यदि मेरे उपदेशों से नहीं, तो मेरे उदाहरण से सीखें कि ज्ञान की खोज कितनी ख़तरनाक है और वह व्यक्ति जो अपने मूल शहर को ही दुनिया मानता है, वह उस व्यक्ति की तुलना में कितना ख़ुश है जो अपनी शक्ति से बड़ा होने की आकांक्षा रखता है।
कोई भी शहर तानाशाही में विकसित नहीं हो सकता, क्योंकि जब निगरानी की जाती है, तब सब कुछ बौना रह जाता है।
ग्रह का उज्ज्वल पक्ष अंधकार की ओर बढ़ रहा है और सभी शहर अपनी-अपनी घड़ी के अनुसार नींद में डूबते जा रहे हैं। और मेरे लिए, अब भी वैसा ही है, यह सब बहुत ज़्यादा है। दुनिया बहुत बड़ी है।