शहर पर लेख
शहर आधुनिक जीवन की आस्थाओं
के केंद्र बन गए हैं, जिनसे आबादी की उम्मीदें बढ़ती ही जा रही हैं। इस चयन में शामिल कविताओं में शहर की आवाजाही कभी स्वप्न और स्मृति तो कभी मोहभंग के रूप में दर्ज हुई है।
नए शहर को शाम में नहीं सुबह में देखना चाहिए
किसी नए शहर को पहली बार शाम को नहीं सुबह में देखना चाहिए क्योंकि शहरों के कई पाठ, कई रूप होते हैं... आप किसी सड़क से एकदम भोर में गुज़रिए फिर उसी सड़क पर देर शाम को जाइए आपको उसमें ज़मीन आसमान का अंतर दिखेगा... कि अलस्सुबह शहर बिल्कुल अजनबी नहीं लगते,