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अपराध पर उद्धरण

अपराध" का अर्थ है किसी

ऐसे कार्य या व्यवहार का प्रदर्शन करना, जो समाज, कानून, या नैतिक मानकों के विरुद्ध हो। यह ऐसा कृत्य होता है जिसे कानून द्वारा अनुचित, अनैतिक, और दंडनीय माना जाता है। उदाहरण के लिए, चोरी, हत्या, धोखाधड़ी, और मारपीट जैसे कार्य अपराध की श्रेणी में आते हैं। अपराध के प्रकार और उसकी गंभीरता के आधार पर, उसके लिए विभिन्न प्रकार की सज़ा या दंड निर्धारित किए जाते हैं। भारतीय दंड संहिता (IPC) में विभिन्न अपराधों का विवरण दिया गया है, और उनके अनुसार अपराधियों को न्याय प्रणाली के तहत दंडित किया जाता है।

कहते क्यों नहीं कि मेरा यही अपराध है कि मैंने कोई अपराध नहीं किया?

जयशंकर प्रसाद

संसार में अपराध करके प्रायः मनुष्य अपराधों को छिपाने की चेष्टा नित्य करते हैं। जब अपराध नहीं छिपते तब उन्हें ही छिपना पड़ता है और अपराधी संसार उनकी इसी दशा से संतुष्ट होकर अपने नियमों की कड़ाई की प्रशंसा करता है।

जयशंकर प्रसाद

जिस प्रकार जल में रहती हुई मछलियाँ जल पीती हुई नहीं ज्ञात होतीं, उसी प्रकार अर्थ कार्यो पर नियुक्त हुए राज कर्मचारी धनों का अपहरण करते हुए ज्ञात नहीं होते।

चाणक्य

संसार अपराध करके इतना अपराध नहीं करता, जितना वह दूसरों को उपदेश देकर करता है।

जयशंकर प्रसाद

प्रभुत्व और धन के बल पर कौन-कौन से अपराध नहीं हो रहे हैं?

जयशंकर प्रसाद
  • संबंधित विषय : धन

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