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यशपाल

1903 - 1976 | फ़ीरोजपुर, पंजाब

समादृत कथाकार-उपन्यासकार। भारतीय स्वतंत्रता-संग्राम के प्रसिद्ध क्रांतिकारी। साहित्य अकादेमी पुरस्कार से सम्मानित।

समादृत कथाकार-उपन्यासकार। भारतीय स्वतंत्रता-संग्राम के प्रसिद्ध क्रांतिकारी। साहित्य अकादेमी पुरस्कार से सम्मानित।

यशपाल की संपूर्ण रचनाएँ

संस्मरण 1

 

कहानी 5

 

उद्धरण 3

क्या उपयोग है इस धन का? जो खा लिया, जो पी लिया वही मेरा है।

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अपने अतीत का मनन और मंथन हम भविष्य के लिए संकेत पाने के प्रयोजन से करते हैं। वर्तमान में अपने आपको असमर्थ पाकर भी हम अपने अतीत में अपनी क्षमता का परिचय पाते हैं।

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अवसर के देवता का मुख सन्मुख लटके केशों में छिपा रहता है। उसे पहचानना कठिन होता है परंतु उसे वश में किया जा सकता है तो केवल अग्र केशों को पकड़ कर। अवसर के सिर का पिछला भाग केशहीन है। सामने से निकल जाने पर उसे सभी पहचान लेते हैं परंतु गंजे सिर पर हाथ मारने से कुछ हाथ नहीं आता।

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पुस्तकें 9

 

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