ग़लतियाँ हमेशा माफ़ की जा सकती हैं, अगर किसी में उन्हें स्वीकार करने का साहस हो।
जब कोई श्रेष्ठता का दावा करता है और वह मानक से नीचे गिर जाता है तो उसे कोई माफ़ी नहीं मिलती।
ग़लतियाँ हमेशा माफ़ की जा सकती हैं, अगर किसी में उन्हें स्वीकार करने का साहस हो।
जब कोई श्रेष्ठता का दावा करता है और वह मानक से नीचे गिर जाता है तो उसे कोई माफ़ी नहीं मिलती।