
जो स्वयं को क्षमा नहीं कर सकता वह कितना दुःखी व्यक्ति है!


उन चीज़ों को भूलना आसान है, जिनकी आपको अब आवश्यकता नहीं है।

बोलने में मर्यादा मत छोड़ना। गालियाँ देना तो कायरों का काम है।

उपकारों को भूलना मनुष्य का स्वभाव है। अतः यदि हम दूसरों से कृतज्ञता की आशा करेंगे तो हमें व्यर्थ ही सर दर्द मोल लेना पड़ेगा।

बहुत से पुराने शब्द हैं जो अत्यंत अभिव्यक्ति-प्रवण है। परंतु प्रयोग न होने से लोग भूल गए हैं।
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क्षमा करना अच्छा है। भूल जाना सर्वोत्तम है।