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संवाद पर कविताएँ

इंसानी बोली की शान में

एदुआर्दो गालेआनो

भादों की संध्या का जब

कृष्ण मुरारी पहारिया

वार्तालाप

ख़लील जिब्रान

मेरी एक नदी

पॉल इल्यार

बातचीत

एलीसिया पार्तनॉय

शाल एक रेशमी

महमूद दरवेश

मेरी कविताएँ आजकल

वीरभद्र कार्कीढोली

आंबेडकर

बी. गोपाल रेड्डी

एक और बात

अखिलेश सिंह

दुखित मलय

गोपालकृष्ण रथ

सरिता

पॉल इल्यार

जी भर बात

रामाज्ञा शशिधर

अपना अहंकार तुम गाते रहे रात भर

कृष्ण मुरारी पहारिया

बनल रहय ई स्वाध्याय

विवेकानन्द ठाकुर

मन से मन

राजकुमार केसवानी

इंतिज़ार

बेबी शॉ

तुमने जीवन तो लिया लेकिन...

वीरभद्र कार्कीढोली

निर्जन किनारे पर

वसंत आबाजी डहाके

पिता

भागीरथी मिश्र

बातों का प्रेम

पूनम सोनछात्रा

पटकथा

पी. विठ्ठल

सन्नाटा

जगन्नाथ प्रसाद दास

रहमान का स्वगत कथन

दिलीप पुरुषोत्तम चित्रे

तुम्हारी ईश्वरीय दुनिया में

वीरभद्र कार्कीढोली

मिट्टी का गाना

कुसुमाग्रज

संवाद

मोना गुलाटी

रहमान तूने बहुत देर कर दी

दिलीप पुरुषोत्तम चित्रे

शील ही है मूल द्रव्य

ज्ञानेंद्रपति

कहू की औ बाबू

हरिमोहन झा

प्रेम-4

राम जन्म पाठक

इति दृश्यम

अखिलेश सिंह

सलमा-3

दिलीप पुरुषोत्तम चित्रे

संवादहीनता

कुमार मंगलम

संवाद

विभूति आनंद

तुम

हर्षदेव माधव

संवाद

परमिंदर सोढ़ी

वह शाम : वह बड़ का पेड़

वीरभद्र कार्कीढोली