यह कहानी नहीं है। यह बस एक छोटा-सा इंटरव्यू है—कहानी-सा। इसका नायक किट्टू है। वह 35 साल का है। वह 31 का था, जब उसे यह पता चला था कि वह एच.आई.वी. पॉज़िटिव है।
किट्टू की कहानी में कोई भारी संघर्ष नहीं
तोषी
नई कविता नई पीढ़ी ही नहीं बनाती
समय की समझदारी का चेहरा तत्कालीन पीढ़ियों के कई सारे लोग मिल कर बनाते हैं। समकालीन कविता के महत्त्वपूर्ण कवि-लेखक राजेश जोशी से उनकी रचनाओं के आस-पास या यूँ कहें उनके रचना-समय के आस-पास पिछले दिनों एक
कुमार मंगलम
'रफ़्तगाँ में जहाँ के हम भी हैं'
आदिम युग से ही कृति के साथ कर्ता भी हमेशा ही कौतूहल का विषय बना रहा है। जो हमसे भिन्नतर है, वह ऐसा क्यों है, इसकी जिज्ञासा आगे भी बनी ही रहेगी। इन्हीं जिज्ञासाओं में एक जिज्ञासा का लगभग शमन करते हुए क
प्रज्वल चतुर्वेदी
‘अँधेरे में’ कविता में स्वाधीनता आंदोलन का अतीत है
मुक्तिबोध और ‘अँधेरे में’ पर मैनेजर पांडेय और अर्चना लार्क की बातचीत :
अर्चना लार्क : ‘अँधेरे में’ कविता को अतीत और वर्तमान के परिप्रेक्ष्य में किस तरह देखा जा सकता है?
मैनेजर पांडेय : ‘अँधेरे म
अर्चना लार्क
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