सिमरन बाग़ में बैठी स्कूल का काम रही थी। “ओ हो! मैं तो थक गई। इतना सारा लिखने-पढ़ने का काम!” वह सोचने लगी, “स्कूल जाओ तो वहाँ पढ़ो। घर आओ तो फिर पढ़ो। कितना अच्छा होता अगर मुझे पढ़ना न पड़ता।” पुस्तक रख सिमरन चारों ओर देखने लगी। उसने देखा कि मधुमक्खियाँ
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