नाटक में शब्दों से मोह हो जाता है। यह फ़ालतू का मोह जानलेवा हो जाता है। अभिनेता के लिए भी, निर्देशक के लिए भी, यह बात मुझे रंजीत कपूर ने बताई थी।
प्रति-वृत्त का अर्थ है टकराहट।
नाटक में शब्दों से मोह हो जाता है। यह फ़ालतू का मोह जानलेवा हो जाता है। अभिनेता के लिए भी, निर्देशक के लिए भी, यह बात मुझे रंजीत कपूर ने बताई थी।
प्रति-वृत्त का अर्थ है टकराहट।
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