
एकांत : रूप की प्यारी-सी अनुपस्थिति।

अगर तुम्हारे भीतर से एक आवाज़ आती है कि तुम चित्र नहीं बना सकते, तब किसी भी तरह से तुम्हें चित्र बनाने चाहिए; और फिर वह आवाज़ शांत हो जाएगी।


मौन भी बोलने का एक तरीक़ा है।

प्रतिक्षण अनुभव लेता हूँ कि मौन सर्वोत्तम भाषण है। अगर बोलना ही चाहिए तो कम से कम बोलो। एक शब्द से चले तो दो नहीं।

आपसी व्यवहार में जैसे मौन भी बोलता है, वैसे ही भाषा में शब्द का अभाव भी बोलता है। दो या तीन नुक़्ते डालकर जाने हम कितना नहीं कह जाते।

मौन उसकी मातृ-भाषा हो गया है।

मौन आनंद का पूर्ण अग्रदूत है। आनंदमय नहीं हूँ यदि मैं बता सकूँ कि कितना आनंदित हूँ।


आवाज़ करने से आवाज़ नहीं मिटती है, चुप्पी से मिटती है।

मौन में ही जिसका ध्यान लग जाता है, उसे आसपास की गपशप नहीं सुनाई देती।
