Font by Mehr Nastaliq Web

आनंद पर उद्धरण

खाना और पढ़ना दो सुख हैं जो अद्भुत रूप से समान हैं।

सी. एस. लुईस

ख़ुशी का पूरा आनंद लेने के लिए आपके पास इसे बाँटने वाला कोई होना चाहिए।

मार्क ट्वेन
  • संबंधित विषय : सुख

जितनी अधिक अस्पष्टता होगी, आनंद उतना ही अधिक होगा।

मिलान कुंदेरा

दुनिया को झपट्टा मार कर हमला करने और आनंद लेने के लिए बनाया गया है, और पीछे हटने के लिए कोई वजह नहीं है।

ऐनी एरनॉ

मुझे लगता है कि मानवता भूल गई है—यह ग्रह आनंद के लिए है।

एलिस वॉकर

भविष्य चाहे जितना भी सुखद हो, उस पर विश्वास करो, भूतकाल की भी चिंता करो, हृदय में उत्साह भरकर और ईश्वर पर विश्वास कर वर्तमान में कर्मशील रहो।

हेनरी वड्सवर्थ लॉन्गफ़ेलो

सत्, चित् और आनंद-ब्रह्म के इन तीन स्वरूपों में से काव्य और भक्तिमार्ग 'आनंद' स्वरूप को लेकर चले। विचार करने पर लोक में इस आनंद की दो अवस्थाएँ पाई जाएँगी—साधनावस्था और सिद्धावस्था।

आचार्य रामचंद्र शुक्ल

आत्म-संयम अर्थात् आत्मानुशासन ही कलात्मक सौंदर्य को सुंदर एवं व्यवस्था को सुव्यवस्थित और आनंददायक बनाता है।

चक्रवर्ती राजगोपालाचारी

प्राकृतिक सौंदर्य के साथ अपने हृदय को एकाकार करना, मन को संयत करके, प्रकृति की भाषा समझने का प्रयास करना, कष्टसाध्य अवश्य है, परंतु सामान्य रूप में यदि कोई यह कर सके तो उसका हृदय आनंद से ओत-प्रोत हो जाएगा।

सुभाष चंद्र बोस

प्रेम नित्य, आनंद, नित्य—दोनों ही भगवत्स्वरूप हैं। आनंद की भित्ति प्रेम और प्रेम का विलक्षण रूप आनंद। इस प्रेम का कोई निर्माण नहीं करता। जहाँ सर्वत्याग होता है, वहीं इसका प्राकट्य उदय हो जाता है। जहाँ त्याग, वहाँ प्रेम और जहाँ प्रेम, वहीं आनंद। भगवान् प्रेमनंदस्वरूप हैं। अतएव भगवान की यह प्रेम-लीला अनादिकाल से अनन्तकाल तक चलती ही रहती है। इसमें विराम होता है, कभी कमी आती है। इसका स्वभाव वर्धनशील है।

हनुमान प्रसाद पोद्दार

विद्वान पुरुष सर्वत्र आनंद में रहता है और सर्वत्र उसकी शोभा होती है। उसे कोई डराता नहीं है और किसी से डराने पर भी वह डरता नहीं है।

वेदव्यास

आनंद दिन पर शासन करता था और प्रेम, रात्रि पर।

जॉन ड्राइडन

हर बात में लज़्ज़त है अगर दिल में मज़ा हो।

अमीर ख़ुसरो
  • संबंधित विषय : दिल

ऐसा क्यों है और ऐसा क्यों नहीं—इसका कारण बताने वाली बात स्थायी रूप से आनंद नहीं दे सकती।

सैम्युअल टेलर कॉलरिज

प्रेम से आर्द्र, उत्कृष्ट प्रेम के आश्रयभूत, परिचय के कारण प्रगाढ़ अनुराग से संपन्न एवं स्वभाव से सुंदर उस की कटाक्ष आदि चेष्टाएँ मेरे प्रति हों। इस प्रकार की आशा से परिकल्पित होने पर भी तत्काल ही नेत्र आदि बाह्य इंद्रियों के दर्शन आदि क्रियाओं को रोकने वाला और अत्यंत आनंद से प्रगाढ़ चित्त का लय (तन्मयता) हो जाता है।

भवभूति

आनंद को दूसरों की आँखों से देखना कितना दुःखद है!

विलियम शेक्सपियर

यज्ञमय जीवन कला की पराकाष्ठा है। इसी में सच्चा रस और सच्चा आनंद है। जो यज्ञ बोझ रूप मालूम होता है, वह यज्ञ नहीं है।

महात्मा गांधी

भगवान् स्वयं परमानंद-स्वरूप हैं अतः जब वे मन में प्रवेश कर जाते हैं, तब वह मन पूर्ण रूप से भगवान् के आकार का होकर रसमय बन जाता है।

मधुसूदन सरस्वती

जिस मृत्यु पर घर वाले रोएँ वह भी कोई मृत्यु है! वह तो एड़ियाँ रगड़ना है। वीर मृत्यु वही है, जिस पर बेगाने रोएँ, और घर वाले आनंद मनाएँ।

प्रेमचंद

मौन आनंद का पूर्ण अग्रदूत है। आनंदमय नहीं हूँ यदि मैं बता सकूँ कि कितना आनंदित हूँ।

विलियम शेक्सपियर
  • संबंधित विषय : मौन

आनंद की भावना! तुम कभी-कभी आती हो।

शंकर शैलेंद्र

जिस आनंद में सभी सहभागी हों, वह अपूर्ण है।

श्री अरविंद
  • संबंधित विषय : सुख

भक्ति रूपी वधू से विवाह हो गया है। अब चार दिन आनंद ही आनंद है।

संत तुकाराम