
जैसे बीच में विषम शिलाओं के आ जाने से नदी का वेग बढ़ जाता है वैसे ही अपने प्रिय से मिलने के सुख में बाधाएँ आ जाती हैं तो प्रेम सोगुना हो जाता है।

प्रियजन की मृत्यु होती है, प्रेम की मृत्यु नहीं होती, प्रेम अमृत रहता है।

जैसे बीच में विषम शिलाओं के आ जाने से नदी का वेग बढ़ जाता है वैसे ही अपने प्रिय से मिलने के सुख में बाधाएँ आ जाती हैं तो प्रेम सोगुना हो जाता है।
प्रियजन की मृत्यु होती है, प्रेम की मृत्यु नहीं होती, प्रेम अमृत रहता है।