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आनंद पर कवितांश

देखना, स्पर्श करना,

सूँघना, सुनना, अनुभव करना—

पंचेंद्रियों का सुख

नायिका से पूर्ण रूप से मिल जाता है

तिरुवल्लुवर

अपने बच्चों के शरीर का स्पर्श सुखद है

उनकी तोतली बोली सुनना

कान के लिए सुखद है।

तिरुवल्लुवर