भविष्य पर उद्धरण
भविष्य आशंकाओं-आकांक्षाओं
के वर्तमान के रूप में हमारे जीवन-दृश्यों में उतरता रहता है। इस चयन में ऐसी ही कुछ कविताओं का संकलन किया गया है।
सही कवि भविष्य में देख सकते हैं।
एक पीढ़ी अपना लाभ देखकर आगामी सब पीढ़ियों का भविष्य बिगाड़ने की क्रिया में लगी है।
आज की वास्तविकता ही हमारे बहुजन का स्वरूप है। उसका कल का रूप या भविष्य का रूप अभी केवल युग के स्वान्त में अथवा अंतस में अंतर्निहित है।
लेखकों के महान् होने का निणर्य भविष्य करता है।
कैसा ही पथ क्यों न हो, उसका संबंध अनिवार्यतः मानव के साथ होता ही है।
हमारा भविष्य जैसे कल्पना के परे दूर तक फैला हुआ है, हमारा अतीत भी उसी प्रकार स्मृति के पार तक विस्तृत है।