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भविष्य पर कविताएँ

भविष्य आशंकाओं-आकांक्षाओं

के वर्तमान के रूप में हमारे जीवन-दृश्यों में उतरता रहता है। इस चयन में ऐसी ही कुछ कविताओं का संकलन किया गया है।

अंतिम ऊँचाई

कुँवर नारायण

एक दिन

अखिलेश सिंह

बीते हुए दिन

राजेंद्र धोड़पकर

नीयत और नियति

अजंता देव

औरतें

शुभा

बार-बार

ममता बारहठ

निकटता की दूरी

अनुराग अनंत

सन् 3031

त्रिभुवन

आकाँक्षा

नंदकिशोर आचार्य

हम बचेंगे अगर

नवीन सागर

चाकरी में स्वप्न पाले कौन

कृष्ण मुरारी पहारिया

अपने ही बेटे को देखकर

कालीप्रसाद रिजाल

वरिष्ठ

अजंता देव

बीमा एजेंट

सौरभ राय

अधूरा मकान

हरीशचंद्र पांडे

कौन जाने?

बालकृष्ण राव

भविष्य घट रहा है

कैलाश वाजपेयी

एक दिन

नीलोत्पल

क्या कर जाएँगी मशीन

सुनील कुमार शर्मा

यह रास्ता

शलभ श्रीराम सिंह

समता के लिए

वीरेन डंगवाल

मोड़

सी. नारायण रेड्डी

हाथ का कंगन बनूँगा

रामावतार त्यागी

कल हमारा है

शंकर शैलेंद्र

रात का संगीत

अच्युतानंद मिश्र

सुबह आती नहीं लाई जाती है

सौरभ सिंह क्रांतिकारी

शून्य

दर्पण साह

वही बचेगा

आदर्श भूषण

मेरे बाद : एक

नंदकिशोर आचार्य

जब बड़ा बनूँगा

खेमकरण ‘सोमन’

एक दिन

प्रखर शर्मा

जब मैं नदी था

आदित्य शुक्ल

भविष्यानुगता प्रेयसी से

प्रज्वल चतुर्वेदी

होना होगा

अर्चना लार्क

वक्त

पवन चौहान

निस्तेज सूर्य

लनचेनबा मीतै

वर्तमान है वह

संजीव गुप्त

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