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समृद्धि पर उद्धरण

जीवन का प्राथमिक प्रसन्न उल्लास मनुष्य के भविष्य में मंगल और सौभाग्य को आमंत्रित करता है। उससे उदासीन होना चाहिए।

जयशंकर प्रसाद

जीवन-शुद्धि और जीवन-समृद्धि यही हमारा आदर्श हो।

काका कालेलकर

सौभाग्य होना किसी के लिए दोष नहीं है। समझकर सत्प्रयत्न करना ही दोष है।

तिरुवल्लुवर

ईमानदारी वैभव का मुँह नहीं देखती, वह तो मेहनत के पालने पर किलकारियाँ मारती है और संतोष पिता की तरह उसे देखकर तृप्त हुआ करता है।

रांगेय राघव