
स्त्रियों को बचपन से ही सिखाया जाता है कि सुंदरता उनका छत्र है, इसलिए मन शरीर को आकार देता है और अपने चमकदार पिंजरे में घूमते हुए केवल अपनी जेल को सजाना चाहता है।

स्नेह से उत्पन्न दया नामक शिशु, धन नामक धाय से पोषित होता है।

बचपन में हमेशा एक पल होता है, जब दरवाज़ा खुलता है और भविष्य को प्रवेश करने देता है।

छोटेपन में अहंकार का दर्प इतना प्रचंड होता है कि वह अपने को ही खंडित करता रहता है।


बचपन मनुष्य पर कभी-कभी दुबारा भी आता है परंतु यौवन कभी नहीं।

हम खेलना बंद नहीं करते क्योंकि हम बूढ़े हो जाते हैं; हम बूढ़े हो जाते हैं क्योंकि हम खेलना बंद कर देते हैं।
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बचपन के जंगली बाग़ीचे में सब कुछ एक अनुष्ठान है।

मेरे पास वह सब है जिसे मैंने खो दिया। मैं अपना बचपन ऐसे लेकर चलती हूँ जैसे कोई पसंदीदा फूल हाथों को ख़ुशबुओं से भर देता है।

मैं एक प्यारा बच्चा था।