गोलंबर
यशोधरा! “मैंने रात में एक स्वप्न देखा है। बड़ा अजीब लग रहा है।" सोचते-बोलते रतन घबराने लगा।
'दिन में कुछ देखे होंगे, वही याद आ गया होगा। मैं भी तो बहुत कुछ स्वप्न में देखती रहती हूँ, लेकिन नींद खुलते ही भूल जाती हूँ। कभी कुछ सच होता नहीं।'
यशोधरा रतन