
जो गृहिणियाँ अपने पति को अख़बार के पीछे से घूर रही होती हैं, या बिस्तर पर उनकी साँसों को सुन रही होती हैं, वे किराए के कमरे में रहने वाली अविवाहिता से भी ज़्यादा अकेली हैं।

सफलता वह जगह है जो एक व्यक्ति अख़बार में घेरता है।

थोड़ा भाषण देना आ जाने से, और अख़बारों मे लिखना सीख जाने से ही नेता बन जाने की नौजवानों मे कल्पना हो तो वह ग़लत है। सीढ़ी-दर-सीढ़ी चढ़ना चाहिए

ख़त निजी अख़बार है घर का।

अख़बार लिखने वाले मामूली सिक्के के मनुष्य होते हैं।

समाचारपत्रों से भाषा बिगड़ती है।