Font by Mehr Nastaliq Web

घर पर उद्धरण

महज़ चहारदीवारी को ही

घर नहीं कहते हैं। दरअस्ल, घर एक ‘इमोशन’ (भाव) है। यहाँ प्रस्तुत है—इस जज़्बे से जुड़ी हिंदी कविताओं का सबसे बड़ा चयन।

जब कोई अतिथि घर पर आता है तो मैं उससे कह देता हूँ, "यह तुम्हारा ही घर है"।

केशवसुत

सच्ची मित्रता के नियम इस सूत्र में अभिव्यक्त हैं- आने वाले अतिथि का स्वागत करो और जाने वाले अतिथि को जल्दी विदा करो।

अलेक्ज़ेंडर पोप

आदर्श अतिथि होने के लिए, घर पर ही रहो।

एडगर वॉटसन होवे

स्त्री ही व्यक्ति को बनाती है, घर को—कुटुंब को बनाती है, जाति और देश को भी।

जैनेंद्र कुमार

शायद घर कोई जगह नहीं है, बल्कि अपरिवर्तनीय स्थिति है।

जेम्स बाल्डविन

कितनी ही बार मैं घर के बारे में सोचते हुए, बारिश में किसी अजनबी छत पर सो चुका हूँ।

विलियम फॉकनर

कोशिश करो कि कभी अपने घर के बाहर शराब के नशे में धुत्त मिलो।

जैक केरुआक

स्त्रियाँ घर की लक्ष्मी कही गई हैं। ये अत्यंत सौभाग्यशालिनी, आदर के योग्य, पवित्र तथा घर की शोभा हैं, अत: उनकी विशेष रूप से रक्षा करनी चाहिए।

वेदव्यास

आपके पास तब तक कोई घर नहीं है, जब तक आप उसे छोड़ नहीं देते हैं और फिर जब आप उसे छोड़ देते हैं, तो आप कभी वापस नहीं जा सकते हैं।

जेम्स बाल्डविन

मेरा घर भी वहीं है जहाँ पीड़ा का निवास है। जहाँ-जहाँ दुःख विद्यमान है वहाँ-वहाँ मैं विचरता हूँ।

किशनचंद 'बेवस'

घर की दीवारों में स्त्री को मर्यादित रखना किस काम का? वास्तविक मर्यादा तो उसका सतीत्व ही है।

तिरुवल्लुवर

पुरुषों को देखकर उसके पास धरोहर रखी जाती है, घरों को देखकर नहीं।

शूद्रक

यह घर संसार जितना बड़ा है या यूँ कहें कि यही संसार है।

होर्खे लुइस बोर्खेस

प्राय: लोगों के लिए समय एक किराये का घर है।

हुआन रामोन हिमेनेज़
  • संबंधित विषय : समय

साहसिक काम तब शुरू होता है, जब मैं अपने घर से बाहर निकलती हूँ।

ग्लोरिया स्टाइनम

सुनो, पड़ोस के मकान में एक बेहतर सृष्टि का नर्क है, चलो चलें।

ई. ई. कमिंग्स

मुझे कई बार लगता है कि पेड़ शायद आदमी का पहला घर है।

केदारनाथ सिंह
  • संबंधित विषय : पेड़

गृहस्थाश्रम में कोई कर्मयोग द्वारा परलोक में सिद्धि बताते हैं। दूसरे लोग कर्म का त्याग कर ज्ञान द्वारा सिद्धि का प्रतिपादन करते हैं। विद्वान पुरुष भी इस जगत् में भक्ष्य पदार्थों का भोजन किए बिना तृप्त नहीं हो सकता, अतएव विद्वान ब्राह्मण के लिए भी क्षुधा-निवृत्ति के लिए भोजन करने का विधान है।

वेदव्यास

अकेला दूसरे के घर में प्रवेश करे, द्वितीय आदमी से मंत्रणा करे, बहुत आदमी लेकर युद्ध करे, यही शास्त्र का निर्णय है।

भास

मैंने अपनी कविता में लिखा है 'मैं अब घर जाना चाहता हूँ', लेकिन घर लौटना नामुकिन है; क्योंकि घर कहीं नहीं है।

श्रीकांत वर्मा

पुरुष क्यों अपने घर की स्त्रियों को गुड़िया बनाते हैं?

महात्मा गांधी

घर के पैसे के बल पर प्रथम या दूसरी श्रेणी का घुमक्कड़ नहीं बना जा सकता। घुमक्कड़ को जेब पर नहीं, अपनी बुद्धि, बाहु और साहस का भरोसा रखना चाहिए।

राहुल सांकृत्यायन

जिसके घर माता अथवा प्रियवादिनी पत्नी नहीं है, उसे वन में चला जाना चाहिए क्योंकि उसके लिए जैसा वन, वैसा ही घर।

विष्णु शर्मा

देशभक्त व्यक्ति सदैव यही डींग मारता है कि हम चाहें कहीं चले जाए पर सर्वोत्तम देश तो मेरा स्वदेश ही है।

ओलिवर गोल्डस्मिथ

असुरों के गृह में जाने से लक्ष्मी धर्षिता नहीं होती। चरित्रहीनों के बीच वास करने से सरस्वती कलंकित नहीं होती।

हजारीप्रसाद द्विवेदी

घर गृहस्थी का मूल उद्देश्य ही आतिथ्य परोपकार है।

तिरुवल्लुवर

घरों के भीतर अंधकार है, धर्म के नाम पर ढोंग की पूजा है, और शील तथा आचार के नाम पर रूढ़ियों की।

जयशंकर प्रसाद

धन और ईश्वर में बनती नहीं। ग़रीब के घर में ही प्रभु निवास करते हैं।

महात्मा गांधी

किसी के घर का अन्न या तो प्रेम के कारण खाया जाता है या आपत्ति में पड़ने पर। राजन्! तुम प्रेम नहीं रखते और हम किसी आपत्ति में नहीं पड़े हैं।

वेदव्यास

अपने घर के अंधकार में दूसरे का प्रकाश असह्य हो उठता है।

लक्ष्मीनारायण मिश्र

यह भी हास्यास्पद था कि कोई व्यक्ति भीड़ भरे घर में कितना अकेला हो सकता है।

कार्सन मैक्कुलर्स

ख़त निजी अख़बार है घर का।

गिरिजाकुमार माथुर

परंतु कभी-कभी ऐसा लगता है कि जाने यहाँ कितने युगों से हूँ। कभी-कभी तो ऐसा लगता है कि यह मेरा अपना घर है; कारागार से बाहर की बात तो स्वप्नवत् प्रतीत होती है। ऐसा जान पड़ता है कि इस जगत में यदि कुछ सत्य है तो केवल लोहे की सलाखें, गारद और जेल की पत्थर की दीवारें। वास्तव में यह भी अपने किस्म का एक राज्य है। कभी-कभी सोचता हूँ कि जिसने जेल नहीं देखी, उसने जगत में कुछ नहीं देखा।

सुभाष चंद्र बोस

धन घर रह जाता है तथा बांधव श्मशान में छूट जाते हैं। आत्मा के प्रयाण काल में पाप तथा पुण्य ही जीवात्मा के साथ जाते हैं।

सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला'

हर कोई जब छाती में बहुत से सपने और माथे में बहुत से ख़याल डाल कर घर से ज़िंदगी ख़रीदने निकलता है, और ज़िंदगी के बाज़ार में ज़िंदगी की क़ीमत सुनता है, तो उसकी छाती में खनकते सब सिक्के बेकार हो जाते हैं।

अमृता प्रीतम

बाहर और भीतर जो कुछ भी मन को फँसाने वाली चीज़ें हैं, उन सब को छोड़ने से मनुष्य त्यागी होता है। केवल घर छोड़ देने से त्याग की सिद्धि नहीं होती।

वेदव्यास

(मृत्यु में) मेरा घर नष्ट होता है, मैं नहीं।

श्री अरविंद

…अपने डरावने एहसास को ताज़ा करने के लिए समय-समय पर घर जाना चाहिए।

कार्सन मैक्कुलर्स

यह रणभूमि वैर का आवास है, वीरता की कसौटी है, मान और प्रतिष्ठा का घर है, युद्धों में अप्सराओं की स्वयंवर सभा है, नरों की वीरता की प्रतिष्ठा है, राजाओं की अंतकाल में सोने योग्य वीरशय्या है, प्राणों का अग्निहोत्र नामक यज्ञ है, राजाओं के स्वर्गलोक जाने के लिए सेतु है—ऐसे 'रण' नामक आश्रम में हम आए हुए हैं।

भास

हे स्वामी! प्रवास के लिए कौन कहता है? वह जिसके घर में स्त्री नहीं होती या जिसके घर में कुल्हड़ में नमक तक नहीं होता, या जिसके घर में अकुलीन स्त्री कलह करती है, या जिसको ऋण से दबा होने से घर नहीं सुहाता, या जो योगी होकर घर से निकल पड़ता है, या जो अपना सा मुँह लेकर अलग (प्रवास) को जाता है।

नरपति नाल्ह

मेरे पूर्वजों से परंपरा प्राप्त मेरा पातिव्रत्य हमारे घर का रत्न है।

विलियम शेक्सपियर

मेरे पास कोई घर नहीं है, तब मुझे घर की याद क्यों आनी चाहिए?

कार्सन मैक्कुलर्स

असफलता के एकाकीपन से बड़ा एकाकीपन नहीं है। असफलता अपने ही घर में अपरिचित होती है।

एरिक हॉफ़र

हिन्दुस्तान का हर एक घर विद्यापीठ है, महाविद्यालय है, माँ-बाप आचार्य हैं। माँ-बाप ने आचार्य का यह काम छोड़कर अपना धर्म छोड़ दिया है।

महात्मा गांधी

वास्तव में घर को घर नहीं कहते, गृहिणी को ही घर कहते हैं। गृहिणी के बिना घर अरण्य सदृश है।

वेदव्यास

जो पुत्रहीन है उसका घर सूना प्रतीत होता है। जिसका हार्दिक मित्र नहीं है उसका घर सदा से सूना है। मूर्खों के लिए दसों दिशाएँ सूनी हैं। निर्धन के लिए तो सब कुछ सूना है।

शूद्रक

ठहरना चाहते अतिथि को जल्दी विदा कर देना और विदा चाहते अतिथि को रोक लेना समान रूप से आपत्तिजनक होते हैं।

होमर

एक बार जब दुर्भाग्य किसी घर में प्रवेश कर जाता है, तो शांति भंग हो जाती है।

मौरिस मैटरलिंक

जिसके घर से अतिथि असम्मानित होकर दीर्घश्वास छोड़ता हुआ चला जाता है, उसके घर से पितरों सहित देवता विमुख होकर चले जाते हैं।

विष्णु शर्मा

घर बदलने और नौकरी बदलने के बदले ख़ुद को बदलना चाहिए।

विनोद कुमार शुक्ल