
मनुष्य की सार्थक उपलब्धियाँ वे हैं जो सामाजिक रूप से उपयोगी हैं।

आनंदमय आत्मा की उपलब्धि विकल्पात्मक विचारों और तर्कों से नहीं हो सकती।
मनुष्य की सार्थक उपलब्धियाँ वे हैं जो सामाजिक रूप से उपयोगी हैं।
आनंदमय आत्मा की उपलब्धि विकल्पात्मक विचारों और तर्कों से नहीं हो सकती।