
अपने जीवन में नियमित और व्यवस्थित रहो, ताकि तुम अपने लेखन में हिंसक और मौलिक बन सको।

गृहस्थाश्रम में कोई कर्मयोग द्वारा परलोक में सिद्धि बताते हैं। दूसरे लोग कर्म का त्याग कर ज्ञान द्वारा सिद्धि का प्रतिपादन करते हैं। विद्वान पुरुष भी इस जगत् में भक्ष्य पदार्थों का भोजन किए बिना तृप्त नहीं हो सकता, अतएव विद्वान ब्राह्मण के लिए भी क्षुधा-निवृत्ति के लिए भोजन करने का विधान है।
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