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अतिथि पर कविताएँ

अतिथि का अभिप्राय है—आगंतुक,

मेहमान, अभ्यागत। ‘अतिथि देवो भवः’ की भारतीय सांस्कृतिक परंपरा में वह अत्यंत सत्कार-योग्य कहा गया है। काव्य में प्रवेश और घर करता अतिथि अपने अर्थ और उपस्थिति का विस्तार करता चलता है।

आगंतुक

अज्ञेय

माँ अतिथि है

कुमार अम्बुज

दिव्य नाश्ता

असद ज़ैदी

अडिग अतिथि

ओम् प्रकाश आदित्य

अतिथि

सेनापति प्रद्युम्न केशरी

निषेध

कुलदीप कुमार

घासवदत्ता

सोहनलाल द्विवेदी

अतिथि

रामिरडिड्

आगंतुक

मोनिका कुमार

अतिथि

अजंता देव

डरना मत भाई

हरे प्रकाश उपाध्याय

अतिथि

सुशीला सामद

जश्न-ए-रेख़्ता | 13-14-15 दिसम्बर 2024 - जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम, गेट नंबर 1, नई दिल्ली

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