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अनादर पर उद्धरण

लोग, लोभ, काम, क्रोध, अज्ञान, हर्ष अथवा बालोचित चपलता के कारण धर्म के विरुद्ध कार्य करते तथा श्रेष्ठ पुरुषों का अपमान कर बैठते हैं।

वेदव्यास

आतिथ्य का निर्वाह करने की मूढ़ता ही धनी की दरिद्रता है। यह बुद्धिहीनों में ही होती है।

तिरुवल्लुवर

मुँह टेढ़ा करके देखने मात्र से अतिथि का आनंद उड़ जाता है।

तिरुवल्लुवर

यहाँ सच बोलना सबसे बड़ा अनादर है—आक्रामक प्रवृत्ति है।

रघुवीर चौधरी
  • संबंधित विषय : सच

मनुष्य और मनुष्य की मज़दूरी का तिरस्कार करना नास्तिकता है।

सरदार पूर्ण सिंह

तत्त्वज्ञ पुरुष को चाहिए कि वह अपमान को अमृत के समान समझकर उससे संतुष्ट हो और विद्वान मनुष्य सम्मान को विष के तुल्य समझकर उससे सदा डरता रहे।

वेदव्यास

आज्ञा का उल्लंघन सद्गुण केवल तभी हो सकता है जब वह किसी अधिक ऊँचे उद्देश्य के लिए किया जाए और उसमें कटुता, द्वेष या क्रोध हो।

महात्मा गांधी

निरंतर परिवर्तित होता हुआ यह काल अनेक महापुरुषों को भी एक साथ अनादरपूर्वक गिरा देता है जैसे बड़े-बड़े पर्वतों की शेषनाग।

बाणभट्ट

जो मातृभाषा की अवगणना करता है, वह अपनी माता करता है।

महात्मा गांधी

है मरण से भी बुरा अपमान होना लोक में।

मैथिलीशरण गुप्त

मातृभाषा का अनादर माँ के अनादर के बराबर है। जो मातृभाषा का अपमान करता है वह स्वदेशभक्त कहलाने लायक नहीं।

महात्मा गांधी

हे भारत! यदि किसी गुरुजन को 'तू' कह दिया जाए तो यह उसका वध ही हो जाता है।

वेदव्यास

मुझे अपने अपमान में निर्वसन नग्न देखने का किसी पुरुष को अधिकार नहीं। मुझे मृत्यु की चादर से अपने को ढँक लेने दो।

जयशंकर प्रसाद

यह जुआ अनादर को तुच्छ समझता है। प्रत्येक दिन धन उपार्जित करता है और देता भी है।

शूद्रक
  • संबंधित विषय : धन

पुरुष को कभी अपना अनादर नहीं करना चाहिए। जो स्वयं अपना अनादर करता है, उसे उत्तम ऐश्वर्य प्राप्त नहीं होता।

वेदव्यास

हिन्दवी उत्सव, 27 जुलाई 2025, सीरी फ़ोर्ट ऑडिटोरियम, नई दिल्ली

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