
नास्तिकता प्रायः धर्म की प्राणशक्ति की अभिव्यक्ति रही है, धर्म में वास्तविकता की खोज रही है।
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मनुष्य और मनुष्य की मज़दूरी का तिरस्कार करना नास्तिकता है।

मेरा ईश्वर तो मेरा सत्य और प्रेम है। नीति और सदाचार ईश्वर है। निर्भयता ईश्वर है। ईश्वर जीवन और प्रकाश का मूल है। फिर भी वह इन सबसे परे है। ईश्वर अंतरात्मा ही है। वह तो नास्तिकों की नास्तिकता भी है।

नास्तिकता शुष्क छिलका है जो ऊपर से विलक हो गया तो उसके नीचे धर्म का कोमल और स्वादिष्ट छिलका पाया गया।

आशावाद आस्तिकता है। सिर्फ़ नास्तिक ही निराशावादी हो सकता है।

ईश्वर को नहीं मानने से सबसे बड़ी हानि वही है, जो हानि अपने को न मानने से हो सकती है। अर्थात् ईश्वर को न मानना आत्महत्या के समान है।

हे ब्रह्मन्! धन के लोभी और नास्तिक मनुष्यों ने वैदिक वचनों का तात्पर्य न समझकर सत्य से प्रतीत होने वाले मिथ्या यज्ञों का प्रचार कर दिया है।

नास्तिकता द्वारा अस्वीकृत सभी महान सत्यों को स्वीकार करने में जितनी श्रद्धा की आवश्यकता है, उससे अनन्त गुनी श्रद्धा नास्तिक बनने के लिए आवश्यक है।