
आशावाद आस्तिकता है। सिर्फ़ नास्तिक ही निराशावादी हो सकता है।

हे जगदीश, जो लोग कामिनी जनों की ओर घूरने ही के लिए देवालयों को सबेरे और सायंकाल जाते हैं, उन्हीं की सब कोई यदि प्रशंसा करे तो हाय! हाय! आस्तिकता अस्त हो गई समझनी चाहिए।

आस्तिक और नास्तिक दोनों ही आस्थावान होते है। आस्था विधायक और नकारात्मक दोनों ही प्रकार की होती है।

आस्तिक और नास्तिक उनमें इसी बात पर लड़ाई है। कि ईश्वर को ईश्वर कहा जाए या कोई दूसरा नाम दिया जाए।