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आस्तिक पर उद्धरण

आशावाद आस्तिकता है। सिर्फ़ नास्तिक ही निराशावादी हो सकता है।

महात्मा गांधी

हे जगदीश, जो लोग कामिनी जनों की ओर घूरने ही के लिए देवालयों को सबेरे और सायंकाल जाते हैं, उन्हीं की सब कोई यदि प्रशंसा करे तो हाय! हाय! आस्तिकता अस्त हो गई समझनी चाहिए।

महावीर प्रसाद द्विवेदी