
हे जगदीश, जो लोग कामिनी जनों की ओर घूरने ही के लिए देवालयों को सबेरे और सायंकाल जाते हैं, उन्हीं की सब कोई यदि प्रशंसा करे तो हाय! हाय! आस्तिकता अस्त हो गई समझनी चाहिए।
हे जगदीश, जो लोग कामिनी जनों की ओर घूरने ही के लिए देवालयों को सबेरे और सायंकाल जाते हैं, उन्हीं की सब कोई यदि प्रशंसा करे तो हाय! हाय! आस्तिकता अस्त हो गई समझनी चाहिए।
हिन्दवी उत्सव, 27 जुलाई 2025, सीरी फ़ोर्ट ऑडिटोरियम, नई दिल्ली
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