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मंदिर पर कविताएँ

मंदिर भारतीय सांस्कृतिक

जीवन का अभिन्न अंग रहे हैं। सांप्रदायिक सौहार्द के कविता-संवाद में मंदिर-मस्जिद का उपयोग समूहों और प्रवृत्तियों के रूपक की तरह भी किया गया है। इस चयन विशेष में उन कविताओं का संकलन किया गया है, जहाँ मंदिर प्रमुख विषय या संदर्भ की तरह आए हैं।

आँगने आँगन जे मन्दिर

विवेकानन्द ठाकुर

दान आ बलिदानक मिलान

विवेकानन्द ठाकुर

दोहराव

सौरभ अनंत

जगह

अरुण आदित्य

माँ और बाबू

अनादि सूफ़ी

विराम-चिह्न

अनादि सूफ़ी

ईश्वर का बचाव

मनोज छाबड़ा

एक नया ईश्वर

तजेंद्र सिंह लूथरा

मलेदेगुल

पु. ति. नरसिम्हाचार

भुवनेश्वर 2019

गिरिराज किराडू

कबूतर

संजीव कौशल

मंदिर

विपिन कुमार अग्रवाल

सुना जाता है

माधव महेश

मंदि‍र के अहाते से

नरेश चंद्रकर