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मंदिर पर कविताएँ

मंदिर भारतीय सांस्कृतिक

जीवन का अभिन्न अंग रहे हैं। सांप्रदायिक सौहार्द के कविता-संवाद में मंदिर-मस्जिद का उपयोग समूहों और प्रवृत्तियों के रूपक की तरह भी किया गया है। इस चयन विशेष में उन कविताओं का संकलन किया गया है, जहाँ मंदिर प्रमुख विषय या संदर्भ की तरह आए हैं।

दोहराव

सौरभ अनंत

माँ और बाबू

अनादि सूफ़ी

विराम-चिह्न

अनादि सूफ़ी

एक नया ईश्वर

तजेंद्र सिंह लूथरा

भुवनेश्वर 2019

गिरिराज किराडू

मलेदेगुल

पु. ति. नरसिम्हाचार

मंदिर

विपिन कुमार अग्रवाल

ईश्वर का बचाव

मनोज छाबड़ा

मंदि‍र के अहाते से

नरेश चंद्रकर

जश्न-ए-रेख़्ता | 13-14-15 दिसम्बर 2024 - जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम, गेट नंबर 1, नई दिल्ली

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