मंदिर पर सबद
मंदिर भारतीय सांस्कृतिक
जीवन का अभिन्न अंग रहे हैं। सांप्रदायिक सौहार्द के कविता-संवाद में मंदिर-मस्जिद का उपयोग समूहों और प्रवृत्तियों के रूपक की तरह भी किया गया है। इस चयन विशेष में उन कविताओं का संकलन किया गया है, जहाँ मंदिर प्रमुख विषय या संदर्भ की तरह आए हैं।