
समय एक ऐसा कारक है जो बिना उत्तर के भी आगे जाकर किसी प्रश्न की तीव्रता को कम कर सकता है।

सवाल सिर्फ़ अतीत को मिटाने का ही है।

जो प्रश्न हमेशा मेरे दिमाग़ में घूमता रहता है, वह यह है : मैं किस चीज़ में बेहतर हूँ। क्या मैं किसी भी तरह से किसी भी काम के लिए उपयोगी नहीं हूँ।

उद्धरण के होने से पहले प्रश्न का आना नहीं होता।

मेरा विश्वास है कि मनुष्य और मनुष्य के बीच का हर प्रश्न, धार्मिक प्रश्न है और हर सामाजिक अपराध नैतिक अपराध है।