कायर पर उद्धरण

जिसकी भुजाओं में दम हो, उसके मस्तिष्क में तो कुछ होना ही चाहिए।

जयशंकर प्रसाद

अकेला एक कायर सबको मार सकता है।

नवीन सागर

डरपोक प्राणियों में सत्य भी गूँगा हो जाता है।

प्रेमचंद

वीरता जब भागती है, तब उसके पैरों से राजनीतिक छल-छद्म की धूल उड़ती है।

जयशंकर प्रसाद

जीते जी मर जाने को यह मतलब नहीं कि आप कोई हरकत ही करें या किसी भी हरकत पर हैरान या परेशान हों।

कृष्ण बलदेव वैद

अपमान को निगल जाना चरित्र-पतन की अंतिम सीमा है।

प्रेमचंद

वीरता… बर्बरों की भाषा है।

धूमिल

कायर पिता संतान को अच्छे नहीं लगते।

स्वदेश दीपक

जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।

पास यहाँ से प्राप्त कीजिए