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मृदुला गर्ग

1938 | कोलकाता, पश्चिम बंगाल

समादृत कथाकार। साहित्य अकादेमी पुरस्कार से सम्मानित।

समादृत कथाकार। साहित्य अकादेमी पुरस्कार से सम्मानित।

मृदुला गर्ग की संपूर्ण रचनाएँ

कविता 1

 

उद्धरण 20

दिन का अंधकार ख़तरनाक होता है। रात का अँधेरा नींद लाता है, दिन का अँधेरा ख़्वाब।

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अच्छा काम है लघु उद्योग चलाना। सामाजिक अपराध-बोध से आदमी बचा रहता है। लघु शब्द बड़ा करामाती है। बड़े उद्योग चलाओगे तो शोषक कहलाओगे, लघु उद्योग चलाओगे तो देश सेवक।

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चलते हुए आदमी के लिए इंतजार करना आसान है। पर ठहरे हुए आदमी के लिए?

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उम्र सिर्फ़ शरीर की बढ़ती है, मन की नहीं।

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पगडंडियाँ समांतर रेखाएँ नहीं होतीं। भटक भटककर आगे बढ़ती हैं। अलग-अलग पगडंडियों पर चल रहे दो प्राणी कभी भी आपस में टकरा सकते हैं।

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पुस्तकें 2

 

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