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युग पर उद्धरण

युग का धर्म यही है दूसरे को दी गई पीड़ा उलटकर अपने आप पर पड़ती है।

क़ाज़ी नज़रुल इस्लाम

आविष्कार से एक क्षण में इतना विनाश हो जाता है जिसके पुनर्निर्माण में सारा युग लगता है।

विलियम कांग्रेव

नए युग को अत्यंत संक्षेप में बताना हो तो कहेंगे यह युग मानवता का युग है।

हजारीप्रसाद द्विवेदी