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सूर्य पर उद्धरण

सूर्य धरती पर जीवन का

आधार है और प्राचीन समय से ही मानवीय आस्था का विषय रहा है। वेदों में सूर्य को जगत की आत्मा कहा गया और उसकी स्तुति में श्लोक रचे गए। इस चयन में सूर्य को विषय बनाती कविताओं को शामिल किया गया है।

शब्दों के ब्रह्मांड में सोलह-सोलह सूर्य प्रज्वलित रहे हैं। वहाँ कुछ भी बाधित नहीं है, सब कुछ पूर्ण है, प्रचुर है।

रघुवीर चौधरी

जीवन केवल इसलिए दुखद है, क्योंकि पृथ्वी घूमती है और सूर्य अनवरत रूप से उगता है और अस्त होता है और एक दिन हम में से प्रत्येक के लिए सूर्य आख़िरी, आख़िरी बार अस्त हो जाएगा।

जेम्स बाल्डविन

दिन के पूर्व भाग में जो जीवित सूर्य दिखाई देता है, उसके अंतिम भाग में वही अंगारों का पुंजमात्र रह जाता है, जिसे लाखों श्रेष्ठ व्यक्ति प्रणाम करते हैं, वही स्वामी असमय में अकेला ही मर जाता है।

स्वयंभू

सिर्फ़ प्रेमी ही सूर्य की किरणें धारण करते हैं।

ई. ई. कमिंग्स

इस चढ़ते सूरज की तेज़ चमक से मुझे एहसास होता है कि मैं कितना काला पड़ गया हूँ।

वॉलेस स्टीवंस

जब सूरज उगता है तो केवल कुछ कलियाँ खिलती हैं, सारी नहीं। क्या इसके लिए सूरज को दोषी ठहराया जाएगा? कलियाँ स्वयं नहीं खिल सकतीं और इसके लिए सूरज की धूप का होना भी ज़रूरी है।

रमण महर्षि
  • संबंधित विषय : धूप

चंद्रमा, सूरज, तारे, आकाश, घर की चीज़ों की तरह थे। चंद्रमा सूरज शाश्वत होने के बाद भी इधर-उधर होते थे।

विनोद कुमार शुक्ल

संतों के द्वारा दिया गया संताप भी भला होता है और दुष्टों के द्वारा दिया गया सम्मान भी बुरा होता है। सूर्य तपता है तो जल की वर्षा भी करता है। परंतु दुष्ट के द्वारा दिया गया भक्ष्य भी मछली का प्राण ले लेता है।

दयाराम

वह तुम हो जो चाँद का हमेशा से मतलब था और सूरज जो हमेशा गाएगा, वह तुम ही हो।

ई. ई. कमिंग्स