Font by Mehr Nastaliq Web

सूर्य पर कविताएँ

सूर्य धरती पर जीवन का

आधार है और प्राचीन समय से ही मानवीय आस्था का विषय रहा है। वेदों में सूर्य को जगत की आत्मा कहा गया और उसकी स्तुति में श्लोक रचे गए। इस चयन में सूर्य को विषय बनाती कविताओं को शामिल किया गया है।

एक असाधारण जोखिम

व्लादिमीर मायाकोव्स्की

सूर्यास्त

आलोकधन्वा

न बुझी आग की गाँठ

केदारनाथ अग्रवाल

मेरे सूर्य

निलय उपाध्याय

सूर्य

केदारनाथ सिंह

महाकुंभ

निधीश त्यागी

जम जाएँगे ठंड से दो सूर्य

मारीना त्स्वेतायेवा

साँझ

शुभम् आमेटा

ज़िद मछली की

इला कुमार

जपा कुसुम संकाशं

प्रतिभा शतपथी

सुबह का इंतज़ार

दिलीप शाक्य

अपवर्तन

अमृत रंजन

माँ और सुरुज देव

दीपक जायसवाल

रात जब सो रही है

चित्रा सिंह

चाँद और सूरज

दामिनी यादव

पहाड़ों के जलते शरीर

वंशी माहेश्वरी

नवंबर

गंगा प्रसाद विमल

नदी की माँग भरकर

संदीप तिवारी

दी हुई नींद

अभिज्ञात

आख़िर कब तक

रमेश प्रजापति

सूरज की वापसी

रमेश प्रजापति

पृथ्वी और सूर्य

नरेंद्र जैन

छूने भर से

नंदकिशोर आचार्य

सूरज जी का ब्याह

श्रद्धा आढ़ा

टूटा हुआ पुल

आलोक रंजन

कोणार्क

नेमिचंद्र जैन

सूर्यमुखी

दिनेश कुमार शुक्ल

पश्चिमांचल

आदित्य शुक्ल

पृथिवी एक अनिवार्यता की तरह है

संतोष कुमार चतुर्वेदी

जड़ता

कीर्ति चौधरी

सूर्योदय

भगतसिंह सोनी

सुकनी की आँखों का सूरज

सुरेंद्र स्निग्ध

आठवाँ घोड़ा

राज्यवर्द्धन

वही जाने

कुसुमाग्रज

नया समय

उद्भ्रांत

सूरज

योगेंद्र गौतम