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चतुराई पर उद्धरण

लोग समझदार हो गए हैं, इसलिए अविरोध की साधना में लग गए हैं।

कृष्ण बिहारी मिश्र

अविरोध की साधना उन्हें सुहाती है जिनमें अतिरिक्त स्वार्थ-सजगता होती है।

कृष्ण बिहारी मिश्र

मनुष्य की विकास यात्रा जब कभी अवरुद्ध हुई है, कारण उसका बेहया मन रहा है।

कृष्ण बिहारी मिश्र

जहाँ प्रीति होती है, वहाँ नीति नहीं ठहरती। और जहाँ नीति होती है, वहाँ प्रीति नहीं रहती। ये दोनों वस्तुएँ उसी प्रकार एकत्र नहीं हो सकतीं, जिस प्रकार मदिरा की मस्ती और चतुराई।

दयाराम