मस्जिद पर उद्धरण
नमाज़ पढ़ने की जगह या
मसीत को मस्जिद कहा जाता है। मंदिरों की तरह ही मस्जिदें भी भारतीय सांस्कृतिक जीवन की अभिन्न अंग हैं।

मंदिर तथा मस्जिद दोनों ही ईश्वर-पूजा के स्थान हैं। शंख बजाना उसी की उपासना का गीत है। मस्जिद की महराब, गिरजाघर, माला व सलीब- यह सब उसी ईश्वर की पूजा के चिह्न हैं।

ऐ जाहिद! मैं शाहों का शाह हूँ-तेरी तरह नंगा कंजूस नहीं हूँ, मूर्तिपूजक और काफ़िर हूँ, ईमान वाले मुसलमानों से मैं अलग हूँ, यों मैं कभी-कभी मस्जिद की ओर भी जा निकलता हूँ, पर मुसलमान नहीं हूँ।

जहाँ मस्जिद, मंदिर और गिरजे का सैकड़ों पाखंडियों ने दुरुपयोग किया है, वहाँ करोड़ों ने उनका सदुपयोग भी किया है।