Font by Mehr Nastaliq Web

नाम पर उद्धरण

नाम एक पहचान, उपस्थिति

और अस्तित्व विषयक चयन है। इस संग्रह में नाम और नामकरण पर ज़ोर रखती कविताओं का अपूर्व संकलन किया गया है।

नाम पुकारे जाने पर पशु भागे आते हैं, बिल्कुल मनुष्यों की तरह।

लुडविग विट्गेन्स्टाइन

रूप व्यक्ति-सत्य है, नाम समाज सत्य।

हजारीप्रसाद द्विवेदी

सती स्त्रियों, अपने दुःख को तुम संभाल कर रखना। वह दुःख नहीं, सुख है। तुम्हारा नाम लेकर बहुतेरे पार उतर गए हैं और उतरेंगे।

महात्मा गांधी

स्त्रियों के लिए किसी मंत्रणा को छिपाकर रखना कितना दुष्कर है!

विलियम शेक्सपियर

जिस चिह्न से जो देश युक्त होता है और जिससे जिसकी पहचान होती है, विद्वानों का कहना है कि उस देश का वही नाम रखना चाहिए।

वेदव्यास

चंचलता! तेरा ही नाम नारी है।

विलियम शेक्सपियर

संसार में नाम और द्रव्य की महिमा कोई आज भी ठीक-ठीक नहीं जान पाया।

शरत चंद्र चट्टोपाध्याय

उर्दू कवियों की सबसे बड़ी विशेषता उनका मातृभूमि-प्रेम है। इसलिए बंबई और कलकत्ता में भी वे अपने गाँव या क़स्बे का नाम अपने नाम के पीछे बाँधे रहते हैं और उसे खटखटा नहीं समझते। अपने को गोंडवी, सलोनवी और अमरोहवी कहकर वे कलकत्ता-बंबई के कूप-मंडूक लोगों को इशारे से समझाते हैं कि सारी दुनिया तुम्हारे शहर ही में सीमित नहीं है। जहाँ बंबई है, वहाँ गोंडा भी है।

श्रीलाल शुक्ल

नाम में क्या रखा है? गुलाब के पुष्प को किसी और नाम से पुकारने पर भी उसकी गंध तो उतनी ही मधुर होगी।

विलियम शेक्सपियर

हे हरि! आपने अपने नाम को स्वयं से भी बढ़ा दिया, अपनी सब शक्ति उसमें भर दी। उसके स्मरण के लिए काल के नियम भी नहीं बनाए। ऐसी तुम्हारी कृपा हुई परंतु मेरा दुर्भाग्य तो देखो कि तुम्हारे नाम के प्रति मुझमें अनुराग ही नहीं उत्पन्न हुआ।

माधवदेव

एक प्रकार से नाम और रूप ही सृष्टि का पर्याय है, नाम सूत्र है, रूप विस्तार है। नाम प्रतीतियों की अविच्छिन्न श्रृंखला है, रूप प्रतीति का एक गृहीत क्षण। नाम सूक्ष्म है, रूप स्थूल।

विद्यानिवास मिश्र

उसने सत्य बातें कहीं किंतु उन्हें ग़लत नाम दिए।

रॉबर्ट ब्राउनिंग
  • संबंधित विषय : सच

हे भगवान्! आपने अपने बहुत नाम प्रकट किए हैं, जिनमें आपने अपनी सब शक्ति भर दी है और आपने उनके स्मरण के लिए कोई काल भी सीमित नहीं किए हैं। आपकी ऐसी कृपा है परंतु मेरा ऐसा दुर्भाग्य है कि इस जीवन में मुझमें कोई भक्ति नहीं है।

चैतन्य महाप्रभु

गुणवानों की गणना के आरंभ में खडिया जिसका नाम गौरवपूर्वक नहीं लिखती, ऐसे पुत्र से यदि माता पुत्रवती बनती है, तो वंध्या कैसी होगी?

विष्णु शर्मा

हे प्रभु! कब ऐसा होगा कि आपका नाम लेने में मेरे मुख पर अश्रुधारा बहने लगे, वाणी गद्गद होकर रुँध जाए और सारा शरीर पुलकित होकर रोमांचित हो जाए?

चैतन्य महाप्रभु

वाणी से राम नाम लेते हुए यदि मन विषय की ओर दौड़े तो इसे भगवान का स्मरण नहीं वरन् विस्मरण समझना चाहिए।

संत एकनाथ

जो सहृदयता दर्पण में अपना मुख निरखती है, पत्थर बन जाती है। और सत्क्रिया जो अपने को सुंदर नामों से संबोधित करती है, अभिशाप की जननी बन जाती है।

ख़लील जिब्रान

माँ-बाप बड़े हुलास से अपने बच्चों को जो नाम देते हैं, कभी-कभी वह नाम समाज द्वारा बदल दिया जाता है। समाज द्वारा दिया हुआ नाम शक्तिशाली होता है और मूल नाम को धकियाकर अपने द्वारा ही आदमी की पहचान उजागर करने लगता है।

कृष्ण बिहारी मिश्र

नेता? नेता कौन है? मनुष्य? एक मनुष्य सब विषयों की पूर्णता पा सकता है? 'न"। इसीलिए नेता मनुष्य नहीं। सभी विषयों की संकलित ज्ञान-राशि का नाम नेता है।

सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला'

चिढ़ाने का नाम वह भारी से भारी पत्थर है जो शैतान किसी व्यक्ति पर फेंक सकता है।

विलियम हेज़लिट

हरि कथा तो भगवान्, भक्त और नाम का त्रिवेणी-संगम है।

संत तुकाराम

नाम स्मरण ही सारभूत है।

संत तुकाराम

भाषा में प्रयुक्त एक-एक शब्द, एक-एक स्वराघात कुछ सूचना देते हैं। व्यक्तियों के नाम, कुलों या ख़ानदानों के नाम, पुराने गाँवों के नाम जीवंत इतिहास के साक्षी हैं। हमारे रीति-रस्म, पहनावे, मेले, गान, नाच, पर्व, त्यौहार, उत्सव हमारे पुराने इतिहास की कथा सुना जाते हैं।

हजारीप्रसाद द्विवेदी

वैयक्तिकता को जो भी कुचले, वह तानाशाही है, चाहे उसे किसी भी नाम से पुकारा जाए।

जॉन स्टुअर्ट मिल

चिढ़ाने का नाम सभी भाषाओं में सबसे संक्षिप्त है और सब तर्कों में सबसे अधिक अकाट्य है।

विलियम हेज़लिट

नाम कमाने की व्याकुल साध बड़े रंगीन सपने रचती है।

कृष्ण बिहारी मिश्र

ख़ूब चमकता नाम बात की बात में कालिख में ऐसा डूबता है कि पहचानना मुश्किल हो जाता है।

कृष्ण बिहारी मिश्र

अवधी की ख़ालिस, बेमेल मिठास के लिए 'पदमावत' का नाम बराबर लिया जाएगा।

आचार्य रामचंद्र शुक्ल

नाम का नशा नुक़सानदेह।

कृष्ण बलदेव वैद