
स्मरण रहे कि महत्वाकांक्षा अशांति का मूल है। जिसे शांति चाहनी है, उसे महत्वकांक्षा छोड़ देनी पड़ती है। शांति का प्रारंभ वहाँ से है, जहाँ कि महत्वाकांक्षा का अंत होता है।

उन लोगों से दूर रहें जो आपकी महत्त्वाकांक्षाओं को कम करने की कोशिश करते हैं। छोटे लोग हमेशा ऐसा करते हैं, लेकिन वास्तव में महान लोग आपको यह महसूस कराते हैं कि आप भी महान बन सकते हैं।

जो चूहे के शब्द से भी शंकित होते हैं, जो अपनी साँस से चौंक उठते हैं, उनके लिए उन्नति का कंटकित मार्ग नहीं है। महत्त्वाकांक्षा का दुर्गम स्वर्ग उनके लिए स्वप्न है।

धूमिल का ख़ुद सफल बनने में और अपेक्षाकृत सफल लोगों के नज़दीक आने में यक़ीन न था।

हमारी सबसे बड़ी महत्त्वाकांक्षा यह है कि हम स्वतंत्र भारत की नींव के पत्थर बन जाएँ और इस तरह हम सबकी आँखों से ओझल होकर विस्मृति के गर्भ में विलीन हो जाएँ।

महत्त्वाकांक्षी व्यक्ति का सारतत्त्व ही एक स्वप्न की छाया मात्र है।

महत्त्वाकांक्षा की प्रेरणा मनुष्य को साहस, लगन और दृढ़ता प्रदान करती है, जिन गुणों के अभाव में मानव निर्जीव हो जाता है।

जहाँ इच्छा नहीं है, वहाँ अभाव भी नहीं है।

एक कलाकार महत्वाकांक्षी हो कैसे सकता है? यदि वह महत्त्वाकांक्षी है, तो वह कलाकार है ही नहीं।

महत्त्वाकांक्षा प्रेम की तरह होती है—विलंबों और प्रतिद्वंद्वियों दोनों के प्रति अधीर।

हमारी महत्वाकांक्षाएँ हमारे साथ यहाँ कॉफ़ी पीती हैं और अपनी बाहें हमारे बच्चों के गले में डाल देती हैं । वे हमारे गिरते-पड़ते बेचारे स्वरूपों पर हमारे साथ हँसती हैं और हम एक बार पुनः स्वयं को मेज़ पर स्थापित पाते हैं।


महत्त्वाकांक्षा का मोती निष्ठुरता की सीपी में रहता है।