वल्लथोल नारायण मेनन की संपूर्ण रचनाएँ
उद्धरण 5

निकटवर्ती समुद्र की गंभीरता, सह्य गिरि की आधार-दृढ़ता, गोकर्ण मंदिर की प्रफुल्लता, कन्याकुमारी की प्रसन्नता, गंगोपम, 'पेरार' (नदी) की विशुद्धि, कच्चे नारियल जल का माधुर्य, चंदन, एला, लवंग आदि वस्तुओं की आनंदप्रद सुगंध, संस्कृत भाषा का ओज, और ठेठ द्रविड़ का सौंदर्य ये सब मेरी भाषा में मिले हुए हैं।