हम इनसान हैं, मैं चाहता हूँ इस वाक्य की सचाई बची रहे।
कविता के क्षेत्र में केवल एक आर्य-सत्य है : दुःख है। शेष तीन राजनीति के भीतर आते हैं।
वृद्धों और पागलों पर कोई दया नहीं करता।
करुणा ऐसी भाषा है जिसे एक बहरा सुन सकता है और एक अँधा देख सकता है।
राज्य और व्यक्ति के संबंध को अधिकाधिक समझना आधुनिक संवेदना की शर्त है।
दुःख भाव है और करुणा स्वत्व।
कभी भी व्यक्तिगत दुखबोध की कविता एक अच्छी कविता का मानदंड नहीं हो सकती, वही कविता प्रामाणिक होगी जिसके सरोकार राष्ट्रीय दुखों से जुड़े होंगे।