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करुणा पर उद्धरण

हम इनसान हैं, मैं चाहता हूँ इस वाक्य की सचाई बची रहे।

मंगलेश डबराल
  • संबंधित विषय : सच

कविता के क्षेत्र में केवल एक आर्य-सत्य है : दुःख है। शेष तीन राजनीति के भीतर आते हैं।

विजय देव नारायण साही

वृद्धों और पागलों पर कोई दया नहीं करता।

स्वदेश दीपक

करुणा ऐसी भाषा है जिसे एक बहरा सुन सकता है और एक अँधा देख सकता है।

मार्क ट्वेन

राज्य और व्यक्ति के संबंध को अधिकाधिक समझना आधुनिक संवेदना की शर्त है।

रघुवीर सहाय

दुःख भाव है और करुणा स्वत्व।

श्री नरेश मेहता
  • संबंधित विषय : दुख

कभी भी व्यक्तिगत दुखबोध की कविता एक अच्छी कविता का मानदंड नहीं हो सकती, वही कविता प्रामाणिक होगी जिसके सरोकार राष्ट्रीय दुखों से जुड़े होंगे।

श्रीकांत वर्मा

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