Font by Mehr Nastaliq Web
Arundhati Roy's Photo'

अरुंधती रॉय

1961 | शिलॉन्ग, मेघालय

सुप्रसिद्ध लेखिका और समाजसेवी।

सुप्रसिद्ध लेखिका और समाजसेवी।

अरुंधती रॉय की संपूर्ण रचनाएँ

उद्धरण 12

इतिहास, रात में एक पुराने मकान सरीखा है, जिसकी सारी बत्तियाँ रोशन हों और अंदर पुर्खे फुसफुसा रहे हों। इतिहास को समझने के लिए हमें अंदर जाकर यह सुनना होगा कि वे क्या कह रहे हैं। और किताबों और दीवार पर टंगी तस्वीरों को देखना होगा। और गंध सैंधनी होगी। मगर हम भीतर नहीं जा सकते क्योंकि दरवाज़े हमारे लिए बंद हैं। और जब हम खिड़कियों से भीतर झाँकते हैं, हमें सिर्फ़ परछाइयों दिखाई देती हैं। और जब हम सुनने की कोशिश करते हैं, हमें सिर्फ़ फुसफुसाहटें सुनाई देती हैं। और हम फुसफुसाहटों को समझ नहीं पाते क्योंकि हमारे दिमाग़ों में एक युद्ध छिड़ा हुआ है। एक युद्ध जिसे हमने जीता भी है और हारा भी है। सबसे ख़राब क़िस्म का युद्ध। ऐसा युद्ध जो सपनों को बंदी बनाता है और उन्हें फिर से सपनाता है। ऐसा युद्ध जिसने हमें अपने विजेताओं की पूजा करने और अपना तिरस्कार करने पर मजबूर किया है।

  • शेयर

हम युद्ध-बंदी हैं। हमारे सपनों में मिलावट कर दी गई है। हम कहीं के नहीं रहे हैं। हम अशांत समुद्रों पर लंगरविहीन जहाज़ की तरह यात्रा कर रहे हैं। हो सकता है, हमें कभी किनारा मिले। हमारे दुख कभी उतने दुखद नहीं होंगे। हमारे सुख कभी उतने सुखद। हमारे सपने कभी उतने विशाल होंगे। हमारी ज़िंदगियाँ उतनी महत्त्वपूर्ण कि उनकी कोई अहमियत हो।

  • शेयर

एक मछुआरे के लिए यह मान लेना कितना ग़लत है कि वह अपनी नदी को अच्छी तरह जानता है।

  • शेयर

सारी हिंदुस्तानी माएँ अपने बेटों से अभिभूत रहती हैं और इसीलिए वे उनकी योग्यताओं के सिलसिले में सही न्याय नहीं कर पातीं।

  • शेयर

जब तुम लोगों को चोट पहुँचाते हो तो वे तुम्हें पहले से थोड़ा कम प्यार करने लगते हैं। लापरवाही से बोले गए शब्द ऐसा ही करते हैं। वे लोगों को तुम्हें पहले से थोड़ा कम प्यार करने के लिए मजबूर कर देते हैं।

  • शेयर

Recitation

जश्न-ए-रेख़्ता | 13-14-15 दिसम्बर 2024 - जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम, गेट नंबर 1, नई दिल्ली

टिकट ख़रीदिए